Allama Iqbal Shayari in Hindi: अल्लामा इकबाल सिर सय्यद अहमद ख़ान की ग़ऱेबान में जन्मे एक मशहूर उर्दू शायर, फ़िलोसफ़र और राजनीतिज्ञ थे। वे 9 नवंबर, 1877 को ब्रिटिश भारत के द्वीपीय Pakistan के शहालपुर जिले के साइलकोट में पैदा हुए। अल्लामा इकबाल ने फ़ारसी और अरबी भाषा की पढ़ाई की और बाद में इंग्लैंड में पढ़ाई करने के लिए जाएं और वहां से उन्होंने शायरी, साहित्य और दर्शन की शिक्षा प्राप्त की।
Allama Iqbal की Shayari बहुत प्रसिद्ध है क्योंकि उनकी कविताएं व्यापक और मर्मस्पद होती हैं जो मानवीय भावनाओं और तार्किक विचारों को प्रकट करती हैं। उनकी कविताएं विदेशी बोर्डर्स को पार करती हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त हैं।
अल्लामा इकबाल की Poetry में विशेषता है उनकी आज़ादी, तारीफ़, और वतनपरस्ती की भावना जो उनके काव्य में उजागर होती है। उनके शेर, ग़ज़ल और नज़्म के रूप में लिखे गए उनके रचनाएं लोगों को उत्साह, सम्मान और सोचने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।
अल्लामा इकबाल की शायरी में सांस्कृतिक और धार्मिक तत्वों को शामिल किया गया है, जो उन्हें भारतीय और Islamic संस्कृति के मध्य संगठित करता है। उनकी कविताएं जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सोचने को प्रेरित करती हैं, जैसे मानवता, ईमानदारी, ताक़त, और स्वतंत्रता।
अल्लामा इकबाल को “मशर्रिक़-ए-हिंद” और “हकीम-ए-उम्मत” के तौर पर मान्यता प्राप्त है, और उनकी रचनाएं भारतीय और पाकिस्तानी साहित्य की आदर्श हो गई हैं। उनकी शायरी का विरासत में कोई सीमा नहीं है और वे आज भी उर्दू साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से माने जाते हैं।
Table of Contents
Allama Iqbal Shayari | अल्लामा इकबाल की शायरी

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अस्थिर है ये जिंदगी के लम्हे,
खो दे गया हूँ मैं अपनी ज़मीं पर।
उठ जाती हैं हर इक धड़कन के साथ,
मेरे अंदर बसा इश्क़ की रौशनी पर।
हर सूरत में छुपी है एक कहानी,
हर इंसान में बसी है तक़दीर।
सच्चा इश्क़ कीमत नहीं जानता,
ज़िंदगी ख़रीदता है सिर्फ़ नामों की।
उजालों के पीछे छुपी है अँधेरा,
खोजते रहो अपने रोशनी को।
अस्तित्व के मैदान में उठो तू,
इश्क़ के रंग में रंग जा तू।
तू नदी का पानी है, मैं ख़राबाती धूल,
हो जाएगा मिलन एक दिन ख़ुदा की दुलारी।
मिलने की इच्छा हमेशा ज़िंदा रख,
इश्क़ की मंज़िल चाहे दूर हो पास हो।
Allama Iqbal Poetry
चंदनी रातों में जब उठेगा चाँद,
छलक जाएगा अपने आप में ख़ुदा का नूर।
हर आँधी में खड़ी है मेरी मोहब्बत,
एक दिन चाहे आएगी तूफ़ान के सपनों में।
ज़मीं चाहे जितना बदले रंग,
सूरज रहेगा हमेशा रोशनी का संग।
तूफ़ान चाहे जितना मचले जहां,
मेरा दिल बसेगा एक शांत समंदर में।

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ज़िंदगी तो बस एक ख़्वाब है,
हर सुबह ज़िंदा होता है नया ख़याल।
उड़ने की इच्छा जगा ले तू,
जैसे ज़मीं ने सिखाया है पंख कैसे फ़ैलाएं।
कुछ तो आहट होगी तेरी दिल की दुनियाँ में,
मेरा इश्क़ छुपा होगा अपने ख्वाबों में।
जब तक ना जाने तू मेरे दिल की भाषा,
मैं छुपाता रहूँगा इश्क़ की पुकार को।
दिल का दरिया छोटा है, मगर गहरा है,
इश्क़ की आग में जलता है यहाँ।
मत डरो तूफ़ानों से, ज़िंदगी से डरो,
हर कठिनाई को जीना सीखा देता है यहाँ।
दुनियाँ भर की तारीफ़ करेंगे लोग,
लेकिन तेरे लिए ख़ुदा से दुआ माँग।
एक नज़्म नहीं बसाओंगा मेरे नाम पर,
बस एक ख़्वाब बना लो मेरी मोहब्बत का सन्देश।
Allama Iqbal Shayari Urdu & Hindi

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दिल को छू जाने वाली बातें रखी हैं दिल में,
हर बार नए रंग भर देती हैं ये मोहब्बत की बारिश।
इक इश्क की परछाई बन कर खड़ी है ज़मीन पर,
मोहब्बत भी तो खुदा की अदा बन कर खड़ी है।
ज़िंदगी में कठिनाईयों से डरना नहीं चाहिए,
हर चुनौती का दामन उठाना चाहिए।
आशाओं की राह में चलते चलते तोड़ देंगे दीवारें,
क्योंकि हमें उड़ान भरनी है ख्वाबों की दुनिया में।
जीने की राह में हमेशा खुद को खो देंगे,
क्योंकि जीवन उच्च सिरों पर ही चढ़ाने के लिए है।
हमेशा खुश रहना सीखो, चाहे दुनिया कुछ भी कहे,
क्योंकि खुश रहना तेरे अंदर की अदालत करेगा।
मोहब्बत की आग में जलते हुए सीखो,
कि रोशनी की ज़रूरत होती है अंधेरे से।
अगर तू चाहे तो सितारों को चूम सकता है,
बस मन में यकीन रखना और सपनों को पंख देना।
जीने की आदत डालो खुद को सच्चाई की राह में,
क्योंकि जीने की इच्छा होती है बेहतर बनने की।
रोशनी ख़ुद को बनाने का इरादा रखो,
चाहे अंधेरा कितना भी घना क्यों ना हो।
Allama Iqbal ki Shayari

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रोशनी ख़ुदा की तरफ़ जब उठाते हैं हम,
धरती की ख़ुदै रौशनी साथ लाते हैं हम।
जिन्दगी की राहों में चमक उजाला देने की चाह,
उठाएंगे हम तनहाई को लहरों की बहार देकर।
न ख़ुद को रोक सकोगे, न अपने आप को छुपा सकोगे,
अल्लाह के अद्भुत इंसान, इकट्ठा कर सकोगे।
जिस दिन नज़र उठाओगे आसमानों की ओर,
तुम्हें खुदा का नज़रिया समझ आ जाएगा।
आशाओं की उचाईयों को प्राप्त करना है तुम्हें,
दिल में जलती रवानी को सच्चाई बना जाना है।
दिल की किताब में जो ख़्वाब छुपे हैं ज़रूरी,
उन्हें पढ़ने का दिल में हो जुनून होना चाहिए।
मज़बूत हो जब दिल, तो कामयाबी कदम चुमेगी,
उड़ने के लिए जरूरी हैं पंखों को छुमेगी।
इक बात कहूँ ज़रा सोच समझ कर सुनना,
ज़मीं और आसमान तुम्हारी ताकत जानेंगे।
मत सोचो तुम क्या हो जो तुमने क्या बनाया है,
सोचो तुम्हारी रौशनी को दुनिया क्या कहती है।
दिल को ज़माने के बाज़ार में ख़रीदने चलें,
तब तक साहिल पर तैरते रहो जब तक तूफ़ान न आ जाए।
Allama Iqbal best Shayari

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दरिया है दिल, तूफानों के लिए तैयार रख,
ये तूफान गुज़रेंगे, फिर तेरी जुदाई के बाद।
ज़िंदगी की राहों में अगर थोड़ा सा भटक गया हूँ,
तो ये ख़ुशी की लकीरें हैं, गम की राहों का निशान।
ज़रूरत पड़े तो उठा लेना इश्क़ की गहराइयों से आवाज़,
मैं हवाओं में छिपा हूँ, ज़मीन पर नहीं आता।
जब तक ज़िन्दगी है, तब तक जहान है बचा,
जिन्दा रहने की मोहब्बत को ख़ुदा समझता हूँ।
ख़ुदा की बनाई हुई ये दुनिया है आज़ाद,
तू ख़ुद को ज़ब्त कर, ख़ुद को मुक़द्दर कहाँ समझता है।
आईना ख़ुद में जो देख, वही है ख़ुदा की मोहब्बत,
अगर अपनी पहचान बना ले, तो रहेगा अमर हमेशा।
ज़रा अपनी आँखों में उतर के देख तो सही,
कश्ती का बस एक किनारा हूँ, मैं तूफ़ान नहीं।
रवानगी से हर क़दम पे बदल जाएगी दुनिया,
तू जो सोच सके, तू जो कर सके, वही तो है शान तेरी।
मेरे दिल की धड़कन बन जा ज़माने की आवाज़,
ज़िंदगी की राहों में रौशनी बन जा मेरे प्यार।
जिन्दगी की राहों में अगर थक जाए तू,
तो मेरी आँखों में आकर थोड़ी सी आराम ले।
2 Line Allama Iqbal Shayari
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
खुदा बंदे से ख़ुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है।
ज़मींदार की ख़ून-ख़राबे से नहीं बनती,
हर फ़र्ज़ निभाए बिना, अदालत क़ायम नहीं होती।
इंसान की आज़ादी उसकी ख़ामोशी में है,
ज़बान से तो सिर्फ़ बोलने की आदत होती है।
जहां रहता है अहंकार, वहां नहीं रहता इश्क़,
इंसान को गिराता है इंसानीत की अदावत।
ज़माने भर की मुश्किलें जो आएँ रास,
इंसान को न भूलें, अपने मौला की इबादत।
ज़िंदगी शायद बहुत लंबी नहीं, पर उसका लुत्फ़ लो,
हर लम्हे को जीना सीखो, हर चीज़ में अल्लाह को देखो।
आसमान से लिए हुए हर एक तारे के नीचे,
आज़ाद रौशनी में छिपी है उम्मीदों की बारिश।
इबादत उसी की होती है, जिसका दिल में अरमान हो,
मुश्किलें दूर हो जाती हैं, जब हो रब से मोहब्बत का इज़्हार।
ज़िंदगी इक राज़ है, जिसे समझ नहीं सकते,
खुद को तलाशो, तब तुम्हें यहाँ नज़र आएगा।
आग में जो बना रहे हो, रोशनी का बंधन,
अकेले चल पड़ोगे तुम, जब होगी रवानी।
Allama Iqbal Islamic Shayari
तेरी उम्मीदें लेकर, रोशन कर देना हैंदवाने को,
मोम के जितना जला देना हैंदवाने को।
जब दुश्मन के लहू से भी धुआँ उठ रही थी धरा,
खुदा के बंदों ने फौजों का वीरता दिखा दिया।
ईमान की बत्ती को जलाए रखो जिन्दगी के रास्ते में,
नाम ऐसा बनाओ के बना दे खुदा तुम्हारे रास्ते में।
रोशन कर देंगे हम तेरा रास्ता, आँधियों में भी तुझको ढूंढ लेंगे,
क्योंकि जहां हो तू, वहां हमेशा हैंदवाने लैला की तालश में।
ख़ुदा की राह में बदल दी हमने ख़ाकी आँधियाँ,
जब हम आएंगे आपके रवानों में, जलाएगी सारी शाम की रातें।
जब तक इक ज़र्रा हैंदवाने में बकी,
इंसान की हिम्मत नहीं हार सकती खुदा के आगे।
बदले नश्तर, तूफ़ान, और आग से भी ताकतवर हैं,
इंसान, जब तू खुदा का बंदा बन जाए तो सब कुछ हार हैं।
उठो और खुदा की तलाश में निकलो,
तुम्हारी मुसीबतों की कोई मदद नहीं करेगा यहां।
हर ज़ुल्म का हिसाब चुक्ता करेंगे,
जब तूफ़ानी बदलों के दिल में खुदा बसा लेंगे।
तेरी दुआओं के तले जहां को झुकाने आये हैं,
हमारी नमाज़ के बादल हम पास लाने आये हैं।
Allama Iqbal Sad Shayari
ज़िन्दगी में एक दौर ऐसा आया,
जब तन्हाई का एहसास दिलाया।
दर्द की राहों पर फिर से चला जाता हूँ,
जब तक जीने की उम्मीद हर बार रखा जाता हूँ।
बे-राह-ओ-रस्त पे चलते रहे,
दिल का दरिया खुद ही बहते रहे।
खो गया ज़िंदगी में अदा जो मौज़ूद थी,
तन्हाईयों में खड़ा हक़ीक़त चलते रहे।
अब तक दिल में एक उम्मीद का दिया जलता है,
पर अँधेरों में रातों का ख़ौफ छलता है।
ज़िंदगी ने इस क़दर बेदार किया है,
कि रोशनी तो जलती है, पर उजाला नहीं छलता है।

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हमने तो ज़िंदगी में सिर्फ़ उम्मीदें पालीं,
पर ख़ुशी का रिश्ता बनाने का किसने कहा था।
खुश रहने की इच्छा के साथ ही,
दर्दों के रस्तों पर चलना हमने चुना था।
दर्द भरे गीत सुनाता हूँ,
आँखों को आंसू से भराता हूँ।
जिन्दगी के रास्तों पर हर बार,
मैं खुद ही अकेला घूमता हूँ।
दर्द भरी रातों के ख़्वाब रंगीन थे,
पर सुबह की चांदनी अजनबी थी।
अपने आप से मैं पूछता रहा,
क्यों यह ज़िंदगी मेरी अधूरी थी?
उम्मीद की नींद चुराकर,
ज़िंदगी की चांदनी भी लूट गई।
जब रौशनी ने मेरी जगह ले ली,
तब अंधेरे में ख़ुद को छूपा गई।
दिल रोया है ग़मों की बरसात में,
आंखों ने जिन्दगी की क़सम खाई है।
मुसीबतों के बादल छाए हुए हैं,
इस तरह से की सबको ज़माना भुलाई है।
तन्हाई में दर्द की सज़ा पाता हूँ,
आंखों में रात के दीप जलाता हूँ।
ज़िंदगी ने यहाँ कठिनाइयाँ बहुत दीं,
पर आशा के पहाड़ को ख़ुद ही टुटा देता हूँ।

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रोशनी छोड़, अंधेरा लेना पड़ा,
ख़ुदा का ज़ुल्म मुझे सहना पड़ा।
अहसास ये मेरा कुछ कह ना सका,
जब जीने के बजाय मरना पड़ा।